Thursday, March 27, 2014


2 comments:

  1. ऐसे ओजश्वी शब्द और वाणी के एक मात्र महान कवि जिन्होने कई दसकों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया हैं।

    यही नहीं जिनके धमनिओ का गरल शुशुप्त (ठंडा) हो गया हो जो मृत्यु शैया पर लेटे यमराज का इंतजार कर रहे हों।
    आप के कविताओं को सुनते ही उनके रगों में जवानी का जोश उमड़ पड़ता हैं।

    आप जैसे कवि को बारम बार नमस्कार !

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  2. आपकी प्रशंसा के लिए शब्दों का अभाव है अलौकिक व्यक्तित्व ,असाधारण सोच,वीरता से भरे दिल मे उपजे भाव और जोश भारी वाणी जब ये सुब मिलते हैं तो बस श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

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