tag:blogger.com,1999:blog-442694390005309517.post6408552173224955068..comments2023-12-22T12:10:51.910-08:00Comments on डॉ. हरिओम पंवार - अपनी भारत माँ का प्यार लिये फिरता हूँ वाणी में !: Unknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-442694390005309517.post-57691553174513273742017-07-31T09:53:39.433-07:002017-07-31T09:53:39.433-07:00आपकी प्रशंसा के लिए शब्दों का अभाव है अलौकिक व्यक्...आपकी प्रशंसा के लिए शब्दों का अभाव है अलौकिक व्यक्तित्व ,असाधारण सोच,वीरता से भरे दिल मे उपजे भाव और जोश भारी वाणी जब ये सुब मिलते हैं तो बस श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14392588158179904262noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-442694390005309517.post-12687777748049169392015-07-23T03:19:59.464-07:002015-07-23T03:19:59.464-07:00ऐसे ओजश्वी शब्द और वाणी के एक मात्र महान कवि जिन्ह...ऐसे ओजश्वी शब्द और वाणी के एक मात्र महान कवि जिन्होने कई दसकों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया हैं। <br /><br />यही नहीं जिनके धमनिओ का गरल शुशुप्त (ठंडा) हो गया हो जो मृत्यु शैया पर लेटे यमराज का इंतजार कर रहे हों।<br />आप के कविताओं को सुनते ही उनके रगों में जवानी का जोश उमड़ पड़ता हैं। <br /><br />आप जैसे कवि को बारम बार नमस्कार !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02862674953494148348noreply@blogger.com